भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ: बांग्लादेश को 700 टन चावल की आपूर्ति

बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता चरम पर है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से देश में कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इसके चलते भारत विरोधी भावनाएं भी जोर पकड़ रही हैं। बावजूद इसके, भारत ने अपनी “नेबर फर्स्ट” नीति के तहत बांग्लादेश की मदद के लिए आगे आकर मानवता का परिचय दिया है।

बांग्लादेश को भारत से चावल की पहली खेप

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेतृत्व में यह पहली बार है जब भारत से मदद के रूप में चावल की खेप भेजी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 700 टन चावल से भरा भारतीय जहाज एमवी तानाइस ड्रीम बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा। यह खेप दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते के तहत 11 नवंबर को आयात के लिए स्वीकृत की गई थी।

बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि इस चावल का उपयोग स्थानीय बाजार में बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाएगा। जल्द ही परीक्षण के बाद यह चावल वितरण के लिए उपलब्ध होगा।

बांग्लादेश की चरमराती अर्थव्यवस्था

एक समय था जब बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग विश्वभर में अपनी धाक जमाए हुए था। लेकिन वर्तमान समय में देश की अर्थव्यवस्था गिरावट के कगार पर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में बांग्लादेश की जीडीपी वृद्धि दर केवल 3.5% तक सीमित रहेगी। हाल ही में बांग्लादेश को IMF से दो बिलियन डॉलर का ऋण लेना पड़ा, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं और ईसाइयों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। मंदिरों पर हमले, घरों में लूटपाट, और इस्कॉन के पुजारियों को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जाना, यह सभी घटनाएं वहां की धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाती हैं।

भारत की सकारात्मक पहल

इन सभी परिस्थितियों के बावजूद, भारत ने बांग्लादेश की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। यह कदम न केवल भारत की उदार नीति का प्रतीक है, बल्कि मानवता और पड़ोसी देशों के साथ सहयोग को मजबूत करने का एक प्रयास भी है।

भारत का यह सहयोग बांग्लादेश की जनता के लिए एक सहारा बन सकता है, जो इस समय आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रही है।

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News18

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